एहसास!!!!!!!
बात तब की है जब हुस्न परदे में रहता था और इश्क उसे देखने की खुदा से आरजू किया करता था. कहता था या खुदा हवा का एक झोंका आए और हुस्न बेनकाब हो जाए,
अचानक एक दिन इश्क चल बसा और हुस्न उसके कब्र पे फूल चढाने गया तो हवा का एक झोंका आया और हुस्न बेनकाब हो गया तो कब्र से आवाज़ आई या खुदा ये कैसे तेरी खुदाई है? आज जब मैंने परदे में हूँ तो हुस्न बेनकाब आई है ।
" दाग "
हमसे आया ना गया, उन्से बुलाया ना गया, फासला प्यार में दोनों से मिटाया ना गया,
हमसे आया ना गया......
वो घड़ी याद है जब तुमसे मुलाक़ात हुई, एक इशारा हुआ दो हाथ बढे और बात हुई,
देखते देखते दिन ढल गया और रात हुई, वो समां आज तलक दिल से भुलाया ना गया,
हमसे आया ना गया.....
क्या ख़बर थी के मिले हैं तो बिछड़ने के लिए, किस्मतें अपनी बनी हैं बिगड़ने के लिए,
प्यार का बाग़ लगाया था उजड़ने के लिए, इस तरह उजड़ा की फिर हमसे बसाया ना गया,
हमसे आया ना गया.....
याद रह जाती है वक्त गुज़र जाता है, फूल खिलते भी हैं खुल के बिखर भी जाते हैं,
सब चले जाते हैं तब दर्द-ऐ-जिगर रह जाता है.
दाग जो तू ने दिया दिल से मिटाया ना गया हमसे आया ना गया उन्से बुलाया ना गया
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